Wednesday, April 4, 2018

मैं निशब्द हो गया

तुमसे करने को बातें इतनी सारी हैं
व्यंग्य है, अवसाद है, हंसी ठिठोली है
यादों का पूरा गुलदस्ता है

दुनिया सिमट जाती है मुट्ठी में,
और कल्पना उड़ान भरने लगती है
विचारों का पूरा बक्सा है

वाद-विवाद और पंक्तियाँ कविता की
सुनाने को गीत, बनाने को किस्से
मेरी इच्छाओं का बस्ता है

लेकिन जब तुम सामने होती हो
सारी बातें हवा हो जाती है, सिर्फ
तुम्हारा चेहरा दिखता है

कोई शब्द पर्याप्त नहीं लगता
क्यूंकि तुम्हे बयां करने को शब्द नहीं बने है
या शायद तुमने मुझे निशब्द कर दिया है

कहाँ जाता है ऐ दिल मेरे

अरे तेरी जरुररत है, क्यूँ भाग जाता है
अभी यहीं थम के बैठ, मेरे पास वक़्त बिता
कहाँ जाता है ऐ दिल मेरे?

मैं जिस पल में आँख मूँद सोचता हूँ नाम उसका
उस एक पल में तू क्यूँ भाग जाता है
कहाँ जाता है ऐ दिल मेरे

वर्तमान में, भविष्य में और भूतकाल में हो आता है
क्यूँ एक साथ हर समय में रहता है
कहाँ जाता है ऐ दिल मेरे

मैं पिंजरे में बंद पन्छी हूँ, मुझे मेरी सीमा पता है
पर तू उन्मुक्त पवन है, फिर भी मुझे छोड़
कहाँ जाता है ऐ दिल मेरे

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