Thursday, December 20, 2012

इंसान जानवर से भी बदतर है.

आइये जरा आज का इंसान देखिये;
कोई कहे हिन्दू हूँ, कोई सिख, कहीं ईसाई कहीं मुसलमान देखिये,
बड़ा गजब दिखता है इंसान देखिये।
कभी मिट्टी की कीमत लगाता है, कभी बेचता अपना ईमान देखिये,
बड़ा सस्ता बिकता है इंसान देखिये।
अपनी शर्म बेच दी, दूसरों की लूटता है, अपना धर्म दूसरों पर ठूसता है,
हर ओर बुत से खड़े भगवान देखिये।
भेड़ों की भीड़ में भेड़िये सा, सियार सा सयाना , गिरगिट से भी  तेज़
हर पल रंग  बदलता इंसान देखिये।
माँ-बहन-बेटियों की इज्ज़त नहीं है, आज़ादी नहीं है, खुद मर्द जो भी करे,
ऐसे  हैं हमारे संस्कार महान देखिये।
आस्तीन मे कितने साँप पाले हैं, जरा झांक के अपना गिरेबान देखिये,
जानवर से भी बदतर है इंसान देखिये ।

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