Tuesday, August 23, 2022

देशहित

 देशहित में है निहित कुछ स्वार्थ मेरा

कुछ लोभ तुम्हारा भी हो जाए तो बात हो 


देश को बचाने निकले हैं नौजवान 

वो अपना घर बचा लें पहले तो बात हो 


सब शास्त्र और शस्त्र त्याग दो अनुज 

सम्पूर्ण श्वास से शंखनाद हो तो बात हो 


होता है निश्चित हृदय कल्पित तुम्हारा 

अपने संकल्प को विश्वास दो फिर बात हो 


दो राहें नहीं हैं मिथ्या है मनुष्य के आकार

कहीं नहीं जाने वाला कोई सब साक्षात् हो


चीटीयों के वजन जितना मनुष्य है इसलिये

देवत्व का भ्रम देने वाला अहंकार समाप्त हो 


फिर देशहित की बातें भी कर लेंगे 


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