आज जब सवेरे उठा था मैं ,
कुछ अलग सा महसूस हो रहा था,
खिड़की खोल कर झाँका मैं,
देखा सारा जहां अभी सो रहा था .
सोचा चलो कुछ देर टहल आयें,
शायद इस सुहानी पहर में दिल भी थोड़ा बहल जाए.
अंगड़ाई ली फिर आँखें मलीं,
हथेलिओं को रगड़कर चला,
आँखें फिर भी अलसाईं थीं,
इसलिए थोड़ा संभलकर चला.
सब कुछ तो पहले जैसा था,
मुझे जाने क्यूँ नया लग रहा था,
शायद कई दिनों बाद मैं,
इतनी सुबह जग रहा था .
सूरज तो पहले जैसा था,
पर रौशनी अलग सी थी,
रास्ते पहले जैसे थे,
पर मंजिलें अलग सी थी.
दिल भी पहले जैसा था,
अरमान अलग से थे,
शब्द पहले जैसे थे,
पर दास्ताँ अलग सी थी.
सुहानी सुबह की हर एक चीज पहले जैसे थी,
जो कुछ भी नया था सब मुझसे जुड़ा था.
मुझमें ही कुछ नया था,
शायद कोई नयी धुन, कोई नया गीत,
कुछ कर दिखाने का जज्बा जो लग रहा था अपना.
आज खुद के साथ वक़्त गुज़ारा मैंने,
खोये हुए सपनों को पाया दुबारा मैंने.
अब हर रात सोने से पहले खुद से कहता हूँ- चलो कल सुबह जागकर देखें.......
wah wah......
ReplyDeletemastttttttttttttt gives a positive thinking of life........really chalo subah kuchh jagkar dekhen....... ye tune hi likhi h na
ReplyDeleteहाँ सुधीर, यहाँ प्रस्तुत हर कविता मैंने आप लिखी है...आपकी टिप्पणिओं के लिए धन्यवाद.
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