Tuesday, September 7, 2010

वो

वो अलविदा कह के चल दिए , हमने भी फिर मिलने का जिक्र न किया ;
हर मोड़ पर दिख जाते हैं वो , किसी गैर की बाँहों में बाहें डाले .

अपनी हर आरजू हम दफन कर गए , उन्हें देखकर इशारा भी न किया ;
तड़प हमारी जानते हैं वो, हमारे आंसुओं से भर चुके हैं प्याले.

हर पल हम जिसके साथ जिए, वो उनकी छनकती पायल सी आवाज़ थी,
हँसके हमें जलाते हैं वो, संभालता नहीं अब ये दर्द संभाले.

जिसे देखकर हम उठा करते थे, उनके रोशन चेहरे की लाली थी,
सपने में अब भी आते हैं वो, हमारा ये सपना न कोई चुराले .

शाम के धुंधलके में बादलों के बीच छुप जाते हैं वो,
पेड़ों पर धुआं सा छाया है, सब ने घर की ओर है रुख किया;
हमने कागज़ पर आंसुओं की कुछ बूँदें गिरा डाली .

काली घनी रात सी अपनी रेशमी जुल्फों में हमे सुलाते थे वो ,
सुहाने पलों की यादों ने हमे ख़ुशी से सराबोर है किया;
और कलम उठाकर हमने अपने दिल की ये कहानी लिख डाली.

मेरी आँखों में मेरी साँसों में मेरी धड़कन में बसते हैं वो,
ठंडी हवन के झोंके ने उनकी खुशबू को यहाँ ला दिया;
सीने से लगाके उनकी तस्वीर, हमने भी आँखें मूँद डालीं

रोज़ की तरह आज भी सपनों में हमसे मिलने आएंगे वो,
रात गहरी है अँधेरी है, सन्नाटे ने कैसा शोर है किया;
वो सामने खड़े हैं दरवाजे पर की हम आयें और उनको गले लगालें.

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