मैं एकाकी, मैं शर्मीला,
मैं हठधर्मी, मैं वैरागी,
मैं अपने आप से बातें करता गृहत्यागी
मैं चिन्तक, मैं संकोची,
मैं अल्हड़, मैं अनुरागी,
मैं चढ़ा त्योरियां प्रश्न पूछता एक बागी.
मैं हठधर्मी, मैं वैरागी,
मैं अपने आप से बातें करता गृहत्यागी
मैं चिन्तक, मैं संकोची,
मैं अल्हड़, मैं अनुरागी,
मैं चढ़ा त्योरियां प्रश्न पूछता एक बागी.
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