Wednesday, August 14, 2013

इतना सेंटी क्यूँ होते हो, झंडा ही तो है.

१५ अगस्त २०१३, आज़ादी की ६६वी वर्षगांठ आ गयी. लीजिये, सरकारी छुट्टी है आराम से घर पर मौज करने का दिन है. हफ्ते के बीच का रविवार मान लीजिये. जिनके घरों में बिजली होगी वो दूरदर्शन चला लेंगे, नहीं तो शाम को बाकि खबरिया चैनलों पर दिखा ही दिया जायेगा दिल्ली का "झंडोतोलन समारोह".
वैसे भी अब पहले जैसा माहौल कहाँ रहा. पहले प्रभात फेरियां निकला करती थीं. अब भी निकलती होगी दूर  दराज के गाँवों में, पर, हम तो शहर में रहते हैं जी. जिनके दफ्तरों में अनिवार्य है की आना ही पड़ेगा, वो बिचारे सुबह सुबह जायेंगे आधे घंटे देश प्रेम व्यक्त करने. जो अभी स्कूल या कॉलेज में पढ़ते हैं वो भी जायेंगे.
आजकल राष्ट्रगान तो सिर्फ बच्चे ही गाते हैं. समझ नहीं है न इनको कि ये सब जो इन्हें सिखाया जा रहा है, ये जो देश प्रेम की घुट्टी पिलाई जा रही है, असल जिंदगी में इनका कोई महत्व नहीं है. कल ये भी रिश्वत देंगे, सिग्नल तोड़ कर ५० रुपये का नोट पकड़ा देंगे और अगर किसी को ठोक दिया सड़क पर तो वकील कर लेंगे.
सजा तो सिर्फ गरीबों को होती है. गरीब होने की सजा. पर मेरा देश आज़ाद है. येहाँ सड़क पर मूतने की आज़ादी है, चूमने पर पुलिस पकड़ लेती है. १४-१५ साल के बच्चों के शादी अगर माँ-बाप करा दे तो कोई सर नहीं पीटता पर अगर वही कोई २१ साल की लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी करले तो वर-वधु दोनों कटे हुए मिलेंगे. यहाँ मूंछों के लिए अपनी ही बेटी अपनी ही बहिन को मार डालने की आज़ादी है. यहाँ लड़किओं को आज़ादी है बलात्कार का शिकार होने की. पुलिस को आज़ादी है सोती हुई सभा पर डंडे बरसाने की, शांत भीड़ में औरतों, बच्चों बुजुर्गों पर आंसू गैस छोड़ने की. यहाँ सैनिकों को आज़ादी है नेताओं की रक्षा करने की, सीमा पर सर कटाने की. यहाँ माओं को आज़ादी है शहीद बेटे की तिरंगे में लिपटी लाश का इंतज़ार करने की. और नेताओं को आज़ादी है ये कहने की, "सैनिक तो शहीद होने के लिए सेना में भरती होता है" . यहाँ अखबारों को आज़ादी है सरकार के अनुसार खबर छापने की. यहाँ बहुत आज़ादी है मेरे साथियों. यहाँ आप आज़ादी से बेरोजगार घूम सकते हैं. यहाँ बड़ी स्वतंत्रता से अनाज की, फल सब्जी की बोरियां गोदामों में सडती है. आप स्वतंत्र होकर "लोन" पर कार खरीद सकते हैं. अगर आप रेत माफिया हैं तो किसी भी नदी के तट से खुले आम रेत उठाकर बेच सकते हैं. बापू ने नमक भी तो ऐसे उठाया था न. अगर आप सरकार है तो खेती की जमीन को औने पौने दामों में कारखानों के लिए बेच सकते हैं. ऐसी आज़ादी और कहाँ.
अपना उबलता खून शांत रख कर घिसटती हुई जिंदगी पर व्यंग्य कस सकते हैं. फिल्मों और फिल्म कलाकारों की पूजा कर सकते हैं. अपने "लोन" पर बनाये घर के बगीचे में बैठ कर यह कह सकते है "नेताओं ने देश बर्बाद कर दिया". आप सबको देश की आज़ाद होने की ६६वी सालगिरह मुबारक. कल सुबह सड़क पर प्लास्टिक का
"मेड इन चाइना" तिरंगा नाली में गिरा मिले तो उठा लेना. ये मत कहना, झंडा ही तो है.

3 comments:

  1. m speechless.......... gud work CR. May sme1 will read it and learn from it...

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  2. क्या बात है!! वाह!

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